बिहार चुनाव 2025 नीतीश कुमार की आखिरी परीक्षा? मुफ्त सुविधाएं, गठबंधन और जाति कितनी कारगर

बिहार चुनाव 2025 नीतीश कुमार की आखिरी परीक्षा? मुफ्त सुविधाएं, गठबंधन और जाति कितनी कारगर


मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव को सभी चुनावों की मां बताया। यह इलेक्शन कई कारणों से बिहार की सियासत को नया रंग देने वाला है। पिछले दो दशकों से बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार केंद्रीय भूमिका में रहे हैं। 2025 का चुनाव शायद उनका आखिरी इलेक्शन हो सकता है। इस बार महिलाओं और अति पिछड़ा वर्ग मतदाताओं के बीच उनकी लोकप्रियता की परीक्षा होगी। गठबंधन में बार-बार बदलाव के बावजूद नीतीश राजनीतिक समीकरण के केंद्र में बने रहे। हालांकि, इस बार उनके सामने अपने विधायकों के खिलाफ बढ़ती नाराजगी, मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप और तेजस्वी यादव व कांग्रेस की मजबूत चुनौती है।

2020 में लोजपा नेता चिराग पासवान ने एनडीए से अलग होकर जदयू के खिलाफ चुनाव लड़ा था, जिससे JDU की सीटें 43 तक सिमट गईं। इस बार NDA को राहत है, क्योंकि चिराग की लोजपा (राम विलास) गठबंधन में बनी हुई है और मिलकर चुनाव लड़ेगी। एनडीए को चिराग के 5% पासवान वोट आधार पर भरोसा है, जो इस चुनाव में निर्णायक हो सकता है।

मुकेश साहनी इंडिया गठबंधन के साथ
वीआईपी नेता मुकेश साहनी 2020 में एनडीए के साथ थे और चार सीटें जीते थे। अब वह इंडिया गठबंधन में शामिल हो गए हैं। गठबंधन में सीट बंटवारे पर बातचीत चल रही है। INDIA गठबंधन को उम्मीद है कि साहनी का निषाद समुदाय का समर्थन मिलेगा, जो मिथिलांचल, सीमांचल और चंपारण में अहम है। यह उनकी जीत में मदद करेगा।

मुफ्त वाली योजनाएं और नकद धनराशि
यह बिहार में पहला ऐसा चुनाव है जिसमें नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने मुफ्त योजनाओं और नकद धनराशि पर जोर दिया है। यह उसकी सामान्य रणनीति से अलग है। सोमवार को आदर्श आचार संहिता लागू होने से ठीक पहले नीतीश ने मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत 21 लाख महिलाओं को 10 हजार रुपये भेजे। कुल मिलाकर राज्य सरकार ने 1.21 करोड़ महिलाओं को 12,100 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए हैं। अगले 29 लाख लाभार्थियों के लिए शेड्यूल जारी हो चुका है। हालांकि, आगे के हस्तांतरण के लिए निर्वाचन आयोग की मंजूरी जरूरी होगी। इसके अलावा, पेंशन राशि को 400 रुपये से बढ़ाकर 1100 रुपये प्रति माह किया गया है। कई सरकारी कर्मचारियों के मानदेय में वृद्धि की गई है।

प्रशांत किशोर के रूप में नई चुनौती
कई वर्षों बाद बिहार में एक नया चेहरा चर्चा में है। चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने अपनी नई पार्टी जन सुराज शुरू की है और पिछले तीन वर्षों से राज्य में प्रचार कर रहे हैं। उनकी ओर से लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोप पूरे राज्य में चर्चा का विषय बने हुए हैं, जिससे सत्तारूढ़ और विपक्षी गठबंधन दोनों सतर्क हो गए हैं। हालांकि, यह देखना बाकी है कि क्या वह इन चर्चाओं को वोटों में बदल पाएंगे। इस तरह 2025 का बिहार विधानसभा चुनाव न केवल नीतीश कुमार की विरासत की परीक्षा लेगा, बल्कि नए चेहरों और बदलती रणनीतियों के साथ सियासत को नया आयाम भी देगा।
Source - Hindustan

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